राणा दग्गुबाती का अनुभव और चुनौतियाँ जिन्होंने आवाज़ दी है ‘सोलो लेवलिंग’ और ‘वन पीस’ को

मशहूर एनिमे “सोलो लेवलिंग सीजन 2: अराइज फ्रॉम द शैडोज़” की तारीख की घोषणा हो चुकी है, और जहां एक ओर प्रशंसक मूल जापानी अनुवाद रूप को देखने के लिए आतुर हैं, वहीं भारतीय दर्शकों के पास इस एनिमे को हिंदी, तमिल और तेलुगु में देखने का एक बहुत बड़ा कारण है- और वह कारण है “राणा दग्गुबाती”, जिन्होंने अपनी आवाज “आइस एल्फ लीडर, बरका” को दी है।

आइए जानते हैं राणा दग्गुबाती का क्या कहना है एनिमे और मांगा की दुनिया से उनके परिचय और तीन भाषाओं में डबिंग करने की चुनौतियों के बारे में।

राणा दग्गुबाती ने बताया कि वह हमेशा ही एनिमे देखते रहते हैं, और “सोलो लेवलिंग” उन्होंने ज़ाहिर तौर पर काफी गहराई से देखी है। दग्गुबाती से उनकी पसंदीदा एनिमे पूछने पर उन्होंने जवाब दिया, “वन पीस को देखना हमेशा ही मज़ेदार होता है।” (अंग्रेजी से अनुवादित)

दग्गुबाती ने मंगा पढ़ना “वन पीस” से ही शुरू किया था। “वन पीस” पहला मांगा सेट था जो उनके दोस्त ने उन्हें 6-7 साल पहले उपहार में दिया था। अपनी मनपसंद कॉमिक का नाम बताते हुए राणा दग्गुबाती ने “वॉचमैन” का नाम लिया और कहा कि अगर ग्राफिक उपन्यास पढ़ना हो तो यह जरूर पढ़ें।

तीन भाषाओं में डबिंग की चुनौतियों के बारे में राणा ने कहा कि, तीन भाषाओं में एक ही  बात को कहना कुछ कठिन है, लेकिन यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें फिल्मों की वजह से अलग-अलग भाषाओं को सीखने और अभ्यास करने का मौका मिला है । उन्हें काफी मजा आया एक किरदार को तीन बार जीने में। ऐसा उन्होंने पहले कभी नहीं किया था, तो यह उनके लिए काफी आनंददायक अनुभव था।

दग्गुबाती ने अपनी आवाज “बरका” को दी है, जो कि आइस एल्फ का सरदार है। उनका कहना है कि जापानी स्वर अभिनेता ने बहुत ही निपुणता से किरदार को निभाया है; सिर्फ किरदार की आवाज का उतार-चढ़ाव सुनकर और उपशीर्षक पढ़कर, बिना जापानी जाने भी कोई समझ सकता है कि किरदार क्या कहना चाहता है। राणा ने बताया कि हिंदी, तमिल और तेलुगु में कई सांस्कृतिक भिन्नताएँ हैं, लेकिन किरदार को आवाज देने के लिए उसके चरित्र की बारीकियों को समझकर स्वर अभिनेता की भूमिका निभाई जा सकती है।

राणा ने पहले भी नकारात्मक किरदारों की डबिंग की है, उन्होंने ही “थानोस” की डबिंग की थी। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें नकारात्मक किरदारों में कोई दिलचस्पी है, तब उन्होंने जवाब दिया कि शुरू से ही, अभिनय सीखने के वक्त वह भारी आवाज का अभ्यास करते थे, और नकारात्मक किरदार और उनकी प्रभावशाली आवाज उन्हें शुरू से ही आकर्षित करती रही है। वह बताते हैं कि जब एक प्रभावशाली और ताकतवर आवाज कोई बच्चा सुनता है, तो वह उसके साथ हमेशा रहती है। और हमेशा एक नकारात्मक किरदार को हम एक सकारात्मक किरदार से ज्यादा याद रखते हैं।

जब उनसे पूछा गया कि इंडियन कॉमिक्स क्या धीरे-धीरे एनिमे की बराबरी कर पाएंगी, तब राणा ने कहा कि एनिमे का पूरा संसार अपने आप में बहुत ही अनोखा है। भारत में एनिमे जैसी रचनात्मक, चित्रों पर आधारित फिल्में अभी बहुत कम हैं, लेकिन हमारे पास हमारी अलग अंदाज की कला और कॉमिक किताबें हैं, जो कि असल भारत को दर्शाती हैं। इन्हें आगे ले जाकर हम कुछ बेहद अलग और शानदार बना सकते हैं।